शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति के लिए समिति बनी, लेकिन अंतरजनपदीय स्थानांतरण अब भी अधर में


ऑनलाइन उपस्थिति की तैयारी, लेकिन अंतरजनपदीय स्थानांतरण अब भी अधर में

ऑनलाइन उपस्थिति की तैयारी, लेकिन अंतरजनपदीय स्थानांतरण अब भी अधर में

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति (Online Attendance System) लागू कराने के लिए समिति गठित कर दी है और 15 दिनों में प्रस्ताव मांगा है। दूसरी ओर, हज़ारों शिक्षक वर्षों से लंबित अंतरजनपदीय स्थानांतरण का इंतज़ार कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि शासन निगरानी बढ़ाने में तत्पर है, पर जमीनी समस्याओं—जैसे स्थानांतरण, स्टाफ की कमी और आधारभूत सुविधाएँ—को लगातार टाला जा रहा है।

शिक्षकों की आपत्ति: नियंत्रण बढ़ा, समाधान नहीं

संगठनों का कहना है कि कई पोर्टलों पर उपस्थिति/डाटा-फीडिंग का बोझ पहले से है। नई ऑनलाइन प्रणाली से कक्षा-शिक्षण के लिए वास्तविक समय और घटेगा। दूर-दराज़ जिलों में तैनात शिक्षक बताते हैं कि स्थानांतरण न होने से परिवारिक और सामाजिक कठिनाइयाँ बढ़ती हैं, पर नीतिगत राहत नहीं मिलती।

सरकार का पक्ष और वास्तविक सवाल

विभागीय पक्ष है कि डिजिटल उपस्थिति से पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ेगी और अनुपस्थिति पर अंकुश लगेगा। पर बड़ा सवाल यह है कि क्या निगरानी तंत्र की नई परत लगाए बिना, पहले से लंबित अंतरजनपदीय स्थानांतरण नीति को पारदर्शी ढंग से लागू नहीं किया जा सकता?

मुख्य बिंदु

  • यूपी सरकार ने शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति के लिए समिति गठित की—15 दिनों में रिपोर्ट।
  • अंतरजनपदीय स्थानांतरण नीति अब भी लंबित, शिक्षकों में व्यापक असंतोष।
  • संगठनों की मांग: पहले स्थानांतरण, संसाधन और स्कूल सुविधाओं पर ठोस कदम।

अंतिम अपडेट: 7 नवंबर 2025


ऑनलाइन उपस्थिति की तैयारी, लेकिन अंतरजनपदीय स्थानांतरण अब भी अधर में

ऑनलाइन उपस्थिति की तैयारी, लेकिन अंतरजनपदीय स्थानांतरण अब भी अधर में

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति (Online Attendance System) लागू कराने के लिए समिति गठित कर दी है और 15 दिनों में प्रस्ताव मांगा है। दूसरी ओर, हज़ारों शिक्षक वर्षों से लंबित अंतरजनपदीय स्थानांतरण का इंतज़ार कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि शासन निगरानी बढ़ाने में तत्पर है, पर जमीनी समस्याओं—जैसे स्थानांतरण, स्टाफ की कमी और आधारभूत सुविधाएँ—को लगातार टाला जा रहा है।

शिक्षकों की आपत्ति: नियंत्रण बढ़ा, समाधान नहीं

संगठनों का कहना है कि कई पोर्टलों पर उपस्थिति/डाटा-फीडिंग का बोझ पहले से है। नई ऑनलाइन प्रणाली से कक्षा-शिक्षण के लिए वास्तविक समय और घटेगा। दूर-दराज़ जिलों में तैनात शिक्षक बताते हैं कि स्थानांतरण न होने से परिवारिक और सामाजिक कठिनाइयाँ बढ़ती हैं, पर नीतिगत राहत नहीं मिलती।

सरकार का पक्ष और वास्तविक सवाल

विभागीय पक्ष है कि डिजिटल उपस्थिति से पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ेगी और अनुपस्थिति पर अंकुश लगेगा। पर बड़ा सवाल यह है कि क्या निगरानी तंत्र की नई परत लगाए बिना, पहले से लंबित अंतरजनपदीय स्थानांतरण नीति को पारदर्शी ढंग से लागू नहीं किया जा सकता?

मुख्य बिंदु

  • यूपी सरकार ने शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति के लिए समिति गठित की—15 दिनों में रिपोर्ट।
  • अंतरजनपदीय स्थानांतरण नीति अब भी लंबित, शिक्षकों में व्यापक असंतोष।
  • संगठनों की मांग: पहले स्थानांतरण, संसाधन और स्कूल सुविधाओं पर ठोस कदम।

अंतिम अपडेट: 7 नवंबर 2025

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