सुप्रीम कोर्ट का गुजरात शिक्षकों पर पुराना आदेश, UP बेसिक शिक्षा से कोई संबंध नहीं

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कई वेबसाइट्स पर यह खबर फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का आदेश दिया है। यह दावा सही नहीं है। असल में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल गुजरात राज्य के कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स से जुड़ा हुआ है और यह आदेश अगस्त 2025 में सुनाया गया था।

              



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असली आदेश क्या था?


गुजरात में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स को मात्र ₹30,000 प्रतिमाह दिया जा रहा था, जबकि उसी पद पर नियमित प्रोफेसर्स को ₹1.20 से ₹1.40 लाख तक का वेतन मिलता रहा।

इस असमानता को चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को टिप्पणी की:


बराबर काम के लिए बराबर वेतन का सिद्धांत लागू होना चाहिए।


कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों को नियमित से कम वेतन देना न्यायसंगत नहीं है।


राज्य सरकार को इस असमानता को सुधारने का निर्देश दिया गया।

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सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ


कुछ वेबसाइट्स और ग्रुप्स ने इस आदेश को इस तरह पेश किया मानो यह फैसला उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा के शिक्षकों से जुड़ा हो।

👉 यह पूरी तरह गलत संदर्भ है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल गुजरात के कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स पर लागू होता है।



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महत्वपूर्ण तथ्य


आदेश गुजरात राज्य से संबंधित है।


यह आदेश नया नहीं, बल्कि अगस्त 2025 का पुराना आदेश है।


इसका UP बेसिक शिक्षा परिषद या प्राथमिक शिक्षकों से कोई संबंध नहीं है।




पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कई वेबसाइट्स पर यह खबर फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का आदेश दिया है। यह दावा सही नहीं है। असल में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल गुजरात राज्य के कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स से जुड़ा हुआ है और यह आदेश अगस्त 2025 में सुनाया गया था।

              



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असली आदेश क्या था?


गुजरात में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स को मात्र ₹30,000 प्रतिमाह दिया जा रहा था, जबकि उसी पद पर नियमित प्रोफेसर्स को ₹1.20 से ₹1.40 लाख तक का वेतन मिलता रहा।

इस असमानता को चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को टिप्पणी की:


बराबर काम के लिए बराबर वेतन का सिद्धांत लागू होना चाहिए।


कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों को नियमित से कम वेतन देना न्यायसंगत नहीं है।


राज्य सरकार को इस असमानता को सुधारने का निर्देश दिया गया।

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सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ


कुछ वेबसाइट्स और ग्रुप्स ने इस आदेश को इस तरह पेश किया मानो यह फैसला उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा के शिक्षकों से जुड़ा हो।

👉 यह पूरी तरह गलत संदर्भ है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल गुजरात के कॉन्ट्रैक्ट सहायक प्रोफेसर्स पर लागू होता है।



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महत्वपूर्ण तथ्य


आदेश गुजरात राज्य से संबंधित है।


यह आदेश नया नहीं, बल्कि अगस्त 2025 का पुराना आदेश है।


इसका UP बेसिक शिक्षा परिषद या प्राथमिक शिक्षकों से कोई संबंध नहीं है।




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